अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: राज्यसभा के 12 निलंबित सांसद बुधवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देंगे. ये सभी सांसद राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को अपने निलंबन को निरस्त करने के लिए पत्र लिखने वाले हैं. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि टीएमसी के दोनों निलंबित सांसद (डोला सेन और शांता छेत्री) बुधवार से पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान गांधी मूर्ति के सामने दिनभर 10 से 6 बजे धरने पर बैठेंगे. उन्होंने कहा कि हम दूसरे सांसदों को भी उनका समर्थन देने के लिए आमंत्रित करते हैं.
संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को सांसदों के निलंबन के मुद्दों पर भारी हंगामा हुआ और कांग्रेस, टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट भी किया. कांग्रेस समेत 16 राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की और इन सदस्यों का निलंबन रद्द करने का आग्रह किया. हालांकि नायडू ने कहा कि निलंबित सांसदों द्वारा माफी मांगे जाने के बिना यह संभव नहीं है.
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान भी वेंकैया नायडू ने सांसदों के निलंबन को रद्द किए जाने की मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की गई. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले को लेकर कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ है और इसे वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसदों को जवाब देने की अनुमति मिलनी चाहिए थी.
विपक्ष को डराना चाहती है सरकार- अधीर रंजन
तृणमूल कांग्रेस के अलावा जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के विनय विस्वम शामिल हैं.
सदन से वॉकआउट करने के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार निलंबन के जरिये विपक्ष को डराना चाहती है, जुबान बंद करना चाहती है. उन्होंने कहा, “इस सरकार ने जो रास्ता अपनाया
है, उसका हमने विरोध किया है. सदन का सदस्य होने के नाते यह जरूरी है कि हमें अपनी बात रखने का मौका मिले. राज्यसभा में जो हुआ है उसका विरोध करते हुए हमने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में सदन से वाकआउट किया. यह मामला राज्यसभा का है, लेकिन दूसरे सदन के सदस्यों के साथ जो हुआ है उसके विरोध में हमने यह कदम उठाया है.”
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया और सरकार पर तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया. इस दौरान कांग्रेस और टीएमसी के सांसद भी साथ नजर आए.
TMC ने विपक्ष की बैठक से किया किनारा
इससे पहले विपक्षी नेताओं ने मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक की. विपक्षी दलों के नेताओं ने सांसदों के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया और जोर देकर कहा कि इनका निलंबन रद्द किया जाना चाहिए. विपक्षी नेताओं की बैठक में तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई, जबकि निलंबित सांसदों में उसके भी दो सांसद शामिल हैं. पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस की अगुवाई में हुई विपक्ष की किसी भी पहल से तृणमूल कांग्रेस दूरी बनाती नजर आई है.
बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, मुख्य सचेतक के. सुरेश, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा और मुख्य सचेतक जयराम रमेश शामिल हुए. इसके अलावा डीएमके के टीआर बालू, शिवसेना के विनायक राउत और प्रियंका चतुर्वेदी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम, सीपीआई और कई अन्य दलों के नेता भी शामिल हुए.
मानसून सत्र में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ की वजह से निलंबन
संसद के सोमवार को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
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